Friday, January 2, 2009
शुद्ध पानी और ज़िम्मेदारी
Wednesday, December 31, 2008
गैर जिम्मेदार पत्रकार
अपने प्यार को पाने उसे खुश रखने के लिए एक सीधा इन्सान क्या क्या नही करता किस तरह वो ख़ुद से लड़ता है? ये सब रब ने बना दी जोड़ी फ़िल्म में बखूबी निभाया गया। किस तरह वो प्यार को खुश रखने के लिए बदलता है पर अंत में वो चाहता है उसे प्यार उसी रूप में मिले जैसा वो है। ये एक सच है और ये होना भी चाहिए कुछ दिन पहले हिंदुस्तान अखबार में पढ़ा था कि ज्यादातर लड़कियों को बुरे लड़के पसंद आते हैं ये तभी समझ में आ गया था ये कुछ लड़कियों और बॉलीवुड अभिनेत्रियों पर आधारित लेख था। पढ़ के लगा कि सीधे पुरूष को प्यार पाना है तो बुरा बन जाना चाहिए क्योंकि उस लेख के अंत तक कोई संदेश नही था, सिर्फ़ लड़कियों की पसंद वाले पुरूष(बुरे), उनके कार्यों (बुरे) और उनके एक्साम्पल दिए थे। समझ नही रहा था कि अखबार की ज़िम्मेदारी क्या है? लोगों को या समाज को सुधारने की ? पत्रकारों तो मैं भी था। पत्रकारों को कभी कभी ख़बर से (मार्केटिंग विभाग की वजह से) समझौता भी करना पड़ता है पर उस लेख में उनकी क्या मजबूरी थी ये समझ में नही आया। एक गैर जिम्मेदार पत्रकारिता का एक्साम्पल लगा मुझे और एडिटोरिअल विभाग की लापरवाही दिखाई दी ... पर पाठक आज भी हिंदुस्तान अखबार का ही हूँ और इसी ये संदेश भी दिया है..... चलते चलते नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!