Friday, January 2, 2009

शुद्ध पानी और ज़िम्मेदारी

कल रात टीवी पर एक विज्ञापन देखा जिसमे एक टीवी अदाकारा और राजनीतिज्ञ महिला संदेश देती हैं कि शुद्ध पानी हर माँ की ज़िम्मेदारी है.... ये संदेश मुफ्त में नही था और आम जन मानस की जाग्रति के लिया नही था ये पैसे कमाने के उद्देश्य से था और एक वाटर प्योरीफायर के प्रचार के लिए था। एक और फ़िल्म जगत की काफी चर्चित अदाकारा है और किस्मत से वो भी राजनीतिज्ञ हैं, वो भी एक वाटर प्योरिफायेर के विज्ञापन में दिखाई देती हैं। उसी दिन यमुना के बारे में पढ़ा कि उसका पानी किसी जानवर के नहाने लायक तक नही और इस गरीब देश में पैक पानी और उसे शुद्ध करने वाले यंत्रो का व्यापार अरबों का है। गंदे पानी की वजह से काफी लोग गंभीर बीमारियों का शिकार होते हैं और अपनी जान तक गंवा देते हैं। विज्ञापन से लगा की अगर आपके पास पैसा नही और आप उस यन्त्र को नही खरीदते हैं तो न आप शुद्ध पानी दे पाएँगी और ना ही जिम्मेदार माँ बन पाएँगी ।कैसा लगा होगा उन माँओं को जो उस वक्त एकता कपूर के भावनात्मक सीरियल देख कर काफी भावुक हो चुकी होगीं और सोच रही होगीं कि वाटर प्योरीफायर को न खरीद कर और बच्चो को शुद्ध पानी न देकर सगी माँ होकर भी वो कैकेयी साबित हो गई हैं , इस पर और भावुक होकर वे ख़ुद को पानी पीकर कोस रहीं होगी। उसके बाद जो पति सीरियल खत्म होने तक खाने के इंतज़ार में बैठा होगा वो उस अति भावुक पत्नी के ताने सुनकर ये सोच रहा होगा की कैसे और किस से उधार लेकर वो प्योरिफायेर खरीद कर अपनी पत्नी को जिम्मेदार माँ बनाएगा। अब कौन याद दिलाये इन नेत्रियों की वो राजनीतिज्ञ भी हैं। इन आम भारतीयों के घर की झंझटों को न बढाये । इन्हे अहसास होना चाहिए की सिर्फ़ हाई क्लास समाज की माँ ही वाटर प्योरीफायर खरीद कर जिम्मेदार नही होती.... उन्हें ये भी अहसास होना चाहिए कि आम आदमी के लिए शुद्ध पानी मुहैया करना उनकी ज़िम्मेदारी है और एक अभिनेत्री के तौर पर वो जनता को नदियों को साफ़ रखने, पानी की बचत करने आदि के लिए प्रेरित करने में ज़्यादा असरदार साबित होगी साथ ही उन्हें एक राजनीतिज्ञ के तौर पर सरकार को साफ़ पानी की उलब्धता कराने के लिए मजबूर करना होगा। ऐसा करने पर सीरियल ख़त्म होने पर भी वो आम भारतीय की नायिका बनी रहेंगी। पर क्या वो ऐसा करेंगी? देखिये आगे क्या होता है और तब तक आप पानी को साफ रखने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी तय कीजिये.

Wednesday, December 31, 2008

गैर जिम्मेदार पत्रकार

अपने प्यार को पाने उसे खुश रखने के लिए एक सीधा इन्सान क्या क्या नही करता किस तरह वो ख़ुद से लड़ता है? ये सब रब ने बना दी जोड़ी फ़िल्म में बखूबी निभाया गया। किस तरह वो प्यार को खुश रखने के लिए बदलता है पर अंत में वो चाहता है उसे प्यार उसी रूप में मिले जैसा वो है। ये एक सच है और ये होना भी चाहिए कुछ दिन पहले हिंदुस्तान अखबार में पढ़ा था कि ज्यादातर लड़कियों को बुरे लड़के पसंद आते हैं ये तभी समझ में आ गया था ये कुछ लड़कियों और बॉलीवुड अभिनेत्रियों पर आधारित लेख था। पढ़ के लगा कि सीधे पुरूष को प्यार पाना है तो बुरा बन जाना चाहिए क्योंकि उस लेख के अंत तक कोई संदेश नही था, सिर्फ़ लड़कियों की पसंद वाले पुरूष(बुरे), उनके कार्यों (बुरे) और उनके एक्साम्पल दिए थे। समझ नही रहा था कि अखबार की ज़िम्मेदारी क्या है? लोगों को या समाज को सुधारने की ? पत्रकारों तो मैं भी था। पत्रकारों को कभी कभी ख़बर से (मार्केटिंग विभाग की वजह से) समझौता भी करना पड़ता है पर उस लेख में उनकी क्या मजबूरी थी ये समझ में नही आया। एक गैर जिम्मेदार पत्रकारिता का एक्साम्पल लगा मुझे और एडिटोरिअल विभाग की लापरवाही दिखाई दी ... पर पाठक आज भी हिंदुस्तान अखबार का ही हूँ और इसी ये संदेश भी दिया है..... चलते चलते नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!

Tuesday, December 30, 2008

भारतीय मीडिया का आतंक को समर्थन

पूरे देश में आतंकवाद अपने चरम पर है और मीडिया इस जघन्य अपराध को लोगो तक बड़ी तन्मयता से पहुंचाती है लेकिन भारत की सम्पूर्ण मीडिया आतंकवाद का घिनौना चेहरा दिखने के साथ साथ अपरोक्ष रूप से आतंकवाद का समर्थन करने वाले राजनेताओं को आपने पत्र या टी वी चैनल में स्थान क्यों देते है ? जिसकी वजह से एक वर्ग विशेष में भ्रान्ति पैदा होती है। इसके अलावा आतंकवादियों के मन में एक नई उर्जा का संचार हो जाता है। शायद देश में इन्ही सब कारणों से आतंकवाद पर संपूर्ण रूप से प्रहार नही हो पता है। इसका जीता जगता प्रमाण बटला हाउस पर शहीद शर्मा व् मुंबई हमले में शहीद करकरे की मौत पर बेवजह की गई टिप्पणियां हैं। यहीं भारत के मीडिया ये सोंच नहीं पाती है अपने पत्र या चैनल में स्थान दे रहे हैं अगर भारतीय मीडिया इन गन्दी मानसिकता वाले लोगों को अपने पत्र या चैनल में स्थान देना बंद कर दे तो देश कि प्रति लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ की असल भूमिका सामने आएगी। इस वजह से लोगों में मीडिया के प्रति और विश्वास बढेगा और साथ ही साथ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाले लोग ख़ुद ही मर जायेंगे। मीडिया के इस काम से देश को आतंकवादियों को मिल रहे अद्रश्य समर्थन से काफी had तक छुटकारा मिल जाएगा। बस इंतज़ार है मीडिया के इस तरफ़ हल्ला बोलने का। मुझे विश्वास है मेरे साथ देश भी मीडिया के इस कदम का इंतज़ार करेगा