पटियाला पैग लगा के......................मैं टल्ली हो गई। हाल ही मल्लिका शेरावत अभिनीत एक फ़िल्म का ये गीत युवाओं पर कुछ ऐसा चढा कि भारतीय संस्कृति पर खतरे के बादलों के और काले होने का एहसास हुआ साथ ही स्त्रियों के चारित्रिक पतन पर स्त्रियाँ शर्मसार हुईं पंजाब के लगभग हर अख़बार की सुर्खियों में आई इस ख़बर ने अभिभावकों की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाया। अर्धनग्न हालत में नशे में धुत सड़क पर पड़ी लड़कियों की तस्वीरों में पश्चिमी सभ्यता की बुराइयों को आत्मसात करने का नतीजा साफ़ दिख रहा था।
ये घटना काफ़ी हद तक झकझोर गई। मैं उस समय लुधिआना में एक पेज थ्री पार्टी में शामिल होने के उद्देश्य से था व् उससे पहले जयपुर, लखनऊ, नॉएडा और उसके बाद चंडीगढ़, दिल्ली और गुडगाँव में पार्टी में शामिल हुआ। इस दौरे और पटियाला की घटना से एक बात दिमाग में आई की क्या अब हमें अपनी ये सोंच बदलनी पड़ेगी की शादी के बाद बिगडे युवक सुधर जाते है क्योंकि जो हालत उन्हें सुधारने वाली लड़कियों की हो गई है उसे देख कर ये सोच बेमानी ही लगती है। कम कपडों में लड़कियों के हाथ में सिगरेट, शराब और देर रात बाद कुछ और घातक नशे करते देख खाकसार शर्मसार हो गया। ऐसा नहीं है की पुरुषों के नशे करने पर मुझे आपत्ति नहीं पर जिन स्त्रियों पर पुरषों को सुधारने की ज़िम्मेदारी होती है, जिनके सामने आकर पुरूष सुधर जाते हैं आज वो स्त्रियाँ पुरूष के साथ कदम से कदम मिलकर चलने के नाम पर उनकी बुराइयों को सीख झूठे सशक्तिकरण का अहसास करती हैं। आज कल हो रही इन पार्टियों में एन्जॉय के नाम पर जो हो रहा है वो काफ़ी खतरनाक है। शराब में के नशे में चूर यूथ जैसे मर्यादा ही भूल गया है, समाज के सामने एक दूसरे के कपड़े तक उतारने में भी शर्म नही आती। लड़कियों को बुरे शब्दों का प्रयोग करने में मज़ा आता है। देर रात तक चलने वाली इन पार्टियों में कई डिस्क और बार में मीडिया की एंट्री नही है और न ही कोई अपना व्यक्तिगत कैमरे प्रयोग कर सकता है क्योंकि ऐसी ही पार्टियों में कई लोग गैर आदमी औरत के साथ पेज थ्री में आकर अपना घर बरबाद कर चुके हैं।
इन डिस्क और बार को एन्जॉय करने का सुरक्षित स्थान कहा आता है जबकि ये गैर कानूनी काम करने का सुरक्षित स्थान है और यहाँ सफेदपोश लोग अय्याशियों को आधुनिकता का जामा पहनाते हैं।
लखनऊ और मुंबई में हाल ही में ऐसी ही पार्टियों में पड़ी रेड से जो सच सामने आए उससे सरकार को भारतीय संस्कृति और यूथ को बचाने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे और संस्कृति के रक्षक दलों को दूसरे धर्मों को नीचा दिखाना छोड़ इन घटनाओं को रोकना होगा। साथ ही हमें अपनी ज़िम्मेदारी तय करते हुए अपनी जीत के दिवस तक नशे और इस पार्टी संस्कृति की निंदा करनी चाहिए।
ये घटना काफ़ी हद तक झकझोर गई। मैं उस समय लुधिआना में एक पेज थ्री पार्टी में शामिल होने के उद्देश्य से था व् उससे पहले जयपुर, लखनऊ, नॉएडा और उसके बाद चंडीगढ़, दिल्ली और गुडगाँव में पार्टी में शामिल हुआ। इस दौरे और पटियाला की घटना से एक बात दिमाग में आई की क्या अब हमें अपनी ये सोंच बदलनी पड़ेगी की शादी के बाद बिगडे युवक सुधर जाते है क्योंकि जो हालत उन्हें सुधारने वाली लड़कियों की हो गई है उसे देख कर ये सोच बेमानी ही लगती है। कम कपडों में लड़कियों के हाथ में सिगरेट, शराब और देर रात बाद कुछ और घातक नशे करते देख खाकसार शर्मसार हो गया। ऐसा नहीं है की पुरुषों के नशे करने पर मुझे आपत्ति नहीं पर जिन स्त्रियों पर पुरषों को सुधारने की ज़िम्मेदारी होती है, जिनके सामने आकर पुरूष सुधर जाते हैं आज वो स्त्रियाँ पुरूष के साथ कदम से कदम मिलकर चलने के नाम पर उनकी बुराइयों को सीख झूठे सशक्तिकरण का अहसास करती हैं। आज कल हो रही इन पार्टियों में एन्जॉय के नाम पर जो हो रहा है वो काफ़ी खतरनाक है। शराब में के नशे में चूर यूथ जैसे मर्यादा ही भूल गया है, समाज के सामने एक दूसरे के कपड़े तक उतारने में भी शर्म नही आती। लड़कियों को बुरे शब्दों का प्रयोग करने में मज़ा आता है। देर रात तक चलने वाली इन पार्टियों में कई डिस्क और बार में मीडिया की एंट्री नही है और न ही कोई अपना व्यक्तिगत कैमरे प्रयोग कर सकता है क्योंकि ऐसी ही पार्टियों में कई लोग गैर आदमी औरत के साथ पेज थ्री में आकर अपना घर बरबाद कर चुके हैं।
इन डिस्क और बार को एन्जॉय करने का सुरक्षित स्थान कहा आता है जबकि ये गैर कानूनी काम करने का सुरक्षित स्थान है और यहाँ सफेदपोश लोग अय्याशियों को आधुनिकता का जामा पहनाते हैं।
लखनऊ और मुंबई में हाल ही में ऐसी ही पार्टियों में पड़ी रेड से जो सच सामने आए उससे सरकार को भारतीय संस्कृति और यूथ को बचाने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे और संस्कृति के रक्षक दलों को दूसरे धर्मों को नीचा दिखाना छोड़ इन घटनाओं को रोकना होगा। साथ ही हमें अपनी ज़िम्मेदारी तय करते हुए अपनी जीत के दिवस तक नशे और इस पार्टी संस्कृति की निंदा करनी चाहिए।