Saturday, July 4, 2009

पॉर्न साईट बैन- ग़लत या एक अच्छी शुरुआत

सविता भाभी एक जाना माना नाम। ये हाल में चर्चा में आया इससे पहले मैं इस नाम से वाकिफ नही था। ये बताने की ज़रूरत नही की ये एक पॉर्न कार्टून कॉमिक चरित्र है।

कभी कभी मीडिया कुछ ऐसी गलतिया कर जाती है की क्या कहा जाए जो साईट अभी तक काफ़ी लोगो ने देखी नही थी पर अब घर में बच्चे भी इस नाम वाकिफ है और सवाल पूछ रहे है कि ये कौन है? ये तो ज़ाहिर है कई लोगों के मन में इस साईट को ओपन करने की इच्छा हो रही होगी। एक tarike से इसे और prasiddhi मिल गई।

कुछ लोग इस साईट को बैन करने पर आपत्ति जता रहे हैं और तर्क दे रहे हैं कि साईट को बंद करने से क्या और भी साईट हैं वो बैन नही हुई तो ये क्यों? ये कौन लोग हैं क्या उनमे इतनी हिम्मत है कि अपने परिवार के साथ आ कर अपने माता पिता के सामने साईट के पक्ष में बात कर सकते हैं। नही कर सकते।

इस बैन पर मेरा ये सोचना है कि चलो ऐसी साइट्स के बैन होने कि शुरुआत तो हुई। क्या आप भी मेरे इस नज़रिए से सहमत हैं?

Friday, July 3, 2009

सामाजिक बीमारी है समलैंगिकता

टोड ने एक साँप को खा लिया वो भी वाइपर जाति के जो ज़हरीली होती है। लोस एंजेलिस के निक फोकोमेलिया बीमारी से ग्रसित हैं फ़िर भी तैरते हैं, गोल्फ खेलते हैं, फुटबॉल खेलते हैं। ये दो खबरें अजीब हैं और अच्छी भी। पर एक और अजीब ख़बर है मेरे हिसाब से जो अच्छी नही और उस पर ही कुछ विचार उमड़ रहे हैं....भारत में धारा ३७७ पर दिल्ली हाई कोर्ट के अजीब फैसले ने जो देश में अफरा तफरी का माहौल पैदा किया है। उस पर बहसों का सिलसिला शुरू हो चुका है। छोटे से कमरे से लेकर इसकी गूँज हर तरफ़ सुनाई देगी ।

मैं इस फैसले से सहमत नही। मेडिकल एक्सपर्ट ने कहा की समलैंगिकता कोई मानसिक विकार या किसी बीमारी का परिणाम नही। पर इसका अर्थ ये नही की ये सही। अप्रकर्तिक सम्बन्ध शरीर को नुक्सान तो पहुंचाते हैं साथ ही परिवार वाद और मनुष्य जाति पर खतरा है। आखिर क्या वजह है की लोग समलैंगिक हो रहे हैं? लड़कियों के बीच अधिक रहने वाले लड़को में उन जैसी हरकतें करने की आदत और फ़िर लड़कियों में उनके प्रति लड़को वाला आकर्षण नही रह जाता । और ऐसे लड़के passive गे बन जाते हैं। दूसरी तरफ़ Active गे बन ने में पश्चिमी संस्कृति जिम्मेदार है। जिन देशो या एरिया में लड़कियां कम कपडों में रहती हैं वहां लड़कों में उनके प्रति वो आकर्षण नही रह जाता । ये कुछ ऐसा ही है कोई पसंदीदा चीज़ मिल जाने के बाद उसके प्रति मोह नही रह जाता । इसलिए उन देशों में खास तौर से जो इस्लामिक हैं और परदा प्रथा है वहां गे कम ही देखने को मिलेंगे।

लड़कियों के lesbian बन ने की वजह में टीवी और इन्टरनेट एक बड़ा कारक है.साथ ही उनका एक दूसरे के साथ अधिक रहने वाली लड़कियों में, पॉर्न साइट्स , ब्लू फ़िल्म आदि देखने वाली लड़कियों में ये प्रॉब्लम पैदा होती है। इसीलिए गर्ल्स hostel में लड़कियां इन बातों में ज़्यादा शामिल होती हैं न की घर में परिवार के साथ रहने वाली। पर एक मुख्य वजह और है उस काम को करने की इच्छा जो ग़लत है।

सम्लैंगिकिता अपने मन पर कंट्रोल न रखने वाली मानसिक विकृति से उत्पन्न एक सामाजिक बीमारी है।

ज़रूरी नही जो कानूनन सही हो और एक समूह उसका समर्थक हो वो हमेशा सही हो। संस्कृति अभाव में मेट्रो शहरों में अपनापन न होना , बडो की इज्ज़त न करना , कम उम्र में sex और उसके MMS, नशा और न जाने क्या क्या हो रहा । इनमे से कुछ कानूनन ग़लत नही हैं पर इनपर अफ़सोस तो सभी को होता है।

Wednesday, July 1, 2009

डाक्टर्स डे पर डाक्टर्स ने मनाया जोक डे

डाक्टर भगवान समान होते हैं। ये सुना होगा अपने। और आज डाक्टर्स डे है। अख़बारों में इस विषय पर जुड़ी कई खबरें हैं। कई डाक्टर्स ने कहा है कि मरीजों की मुफ्त सेवा करेंगे आदि आदि। कुछ अखबारों में लिखा है की अपने डाक्टर से बेहतर रिश्ते रखें और इस दिवस पर बधाई दे और उनकी तारीफों के पुल bhi बंधे गए हैं।

मैंने टीवी पर शो में जज को जनता को ये संदेश देते सुना है कि किसी एक परफॉर्मेंस के आधार पर वोट न करे। मैं भी इसी विचार धारा का इन्सान हूँ। इसी विचार धारा के साथ मैं कुछ पुरानी ख़बरों को याद कर रहा हूँ जैसे अस्पताल के बाहर पैसे के आभाव में लोगो का मरना आदि आदि। और आज ही अख़बार में ख़बर है कि तीन साल पहले नसबंदी करा चुकी महिला गर्भवती हो गई। लोगो के अंग कि तस्करी करने वाले डाक्टर्स कि खबरें तो आपको भी याद होगी। महिला मरीजों से छेड़खानी करने वाले डाक्टर्स इन सब खबरों को याद कर आप भी अब शायद अपने विचारो में हर डाक्टर को भगवान नही मानेगे। डायग्नोस्टिक सेण्टर से कमीशन खाना और जिसका बोझ हर अमीर गरीब पर पड़ता है और हर जांच दोगुनी चौगुनी हो जाती है। दवाइयों में कमीशन खाना न जाने क्या क्या....

खैर आज एक इंटरनेशनल जोक डे भी है.... और डाक्टर्स डे पर डाक्टर्स के वादे भी अब जोक लग रह हैं। लगता है डाक्टर डाक्टर्स डे कि जगह जोक डे मना रहे हैं।