डाक्टर भगवान समान होते हैं। ये सुना होगा अपने। और आज डाक्टर्स डे है। अख़बारों में इस विषय पर जुड़ी कई खबरें हैं। कई डाक्टर्स ने कहा है कि मरीजों की मुफ्त सेवा करेंगे आदि आदि। कुछ अखबारों में लिखा है की अपने डाक्टर से बेहतर रिश्ते रखें और इस दिवस पर बधाई दे और उनकी तारीफों के पुल bhi बंधे गए हैं।
मैंने टीवी पर शो में जज को जनता को ये संदेश देते सुना है कि किसी एक परफॉर्मेंस के आधार पर वोट न करे। मैं भी इसी विचार धारा का इन्सान हूँ। इसी विचार धारा के साथ मैं कुछ पुरानी ख़बरों को याद कर रहा हूँ जैसे अस्पताल के बाहर पैसे के आभाव में लोगो का मरना आदि आदि। और आज ही अख़बार में ख़बर है कि तीन साल पहले नसबंदी करा चुकी महिला गर्भवती हो गई। लोगो के अंग कि तस्करी करने वाले डाक्टर्स कि खबरें तो आपको भी याद होगी। महिला मरीजों से छेड़खानी करने वाले डाक्टर्स इन सब खबरों को याद कर आप भी अब शायद अपने विचारो में हर डाक्टर को भगवान नही मानेगे। डायग्नोस्टिक सेण्टर से कमीशन खाना और जिसका बोझ हर अमीर गरीब पर पड़ता है और हर जांच दोगुनी चौगुनी हो जाती है। दवाइयों में कमीशन खाना न जाने क्या क्या....
खैर आज एक इंटरनेशनल जोक डे भी है.... और डाक्टर्स डे पर डाक्टर्स के वादे भी अब जोक लग रह हैं। लगता है डाक्टर डाक्टर्स डे कि जगह जोक डे मना रहे हैं।
राम तो सबके हैं, लेकिन मंदिर पर अधिकार चंपत जी की टीम का ही है, जान लीजिए
व्यर्थ में दु:खी नहीं होंगे
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लखनऊ। पिछले कई दिनों से राम मंदिर ट्रस्ट, आयोध्या द्वारा खरीदी गई जमीन के
मामले में बवाल कटा पड़ा है। लेकिन बवाल क्यों है शायद ये ज्यादातर बवाल
करने ...
3 years ago
2 comments:
महोदय!
आपने बहुत सारी जानी-अनजानी बातें तो बता दीं जिसका बहुत सारे लोग अभी तक अंदाजा ही लगते थे. पर इस बात के साथ अगर आप वह बात भी बताते जो बहुत से डॉक्टर करते हैं तो इस ब्लॉग का मज़ा दुगुना होता जैसे कि:
- मुफ्त इलाज करना और गरीबों को तो मुफ्त इलाज के साथ दवाइयों और घर वापस जाने के लिए पैसे देना.
- इमर्जेंसी के समय दिन को दिन और रात को रात न समझते हुए जन सेवा करना.
- हम सभी लोग यह तो जानते ही होंगे कि अधिकांश अस्पतालों में एक-एक डॉक्टर २००-३०० मरीज़ रोज़ देखते हैं.
शायद कमी हम सारे लोगों में है. लोगों को बेईमान या इमानदार हमारे जैसे लोग ही बनाते हैं. ज़रुरत है आज की जवान पीढी को आगे आकर जिम्मेदारी से अपना 'धर्म' निभाने की.
ज़रा सोचिए कि के इस शहर के बड़े लोगों ने अगर पत्थर पर लगाये पैसे का कुछ अंश नए डॉक्टर्स कि नियुक्ति पर खर्च किया होता तो डॉक्टर्स भी कुछ आराम कर पाते और आज डॉक्टर्स डे पर जोक सुन कर हंसते हुए जोक डे भी मनाते.
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देवेश गुप्ता
मो.: ९३०७३८२९००
और ताजा ताजा किडनी कांड के उल्लेख के बिना न तो डॉक्टर्स डे और न जोक डे ही संपन्न होगा। इसे भी देखें डॉक्टरी के धंधे का नहीं कोई जोड़ http://www.moltol.in/index.php/20080530559/Khash-Feature/Best-business-of-Doctories.html
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