आज मेरे शहर में बारिश हो रही थी ऑफिस से लौटते वक्त रास्ते में कुछ लाइन दिमाग में आई वोही लिख रहा हूँ... शुरू की २ लाइंस किसी और की है वो भी ढंग से याद नही और लिखने वाले का नाम भी नही याद। आगे की लाइंस मेरी है। अगर अच्छा लगे तो कमेन्ट दीजियेगा.....
इस बार बादलों में कैसी साजिश हुई
मेरा घर छोड़ पूरे शहर में बारिश हुई।(ये किसी और की हैं)
मैं भीगा फ़िर भी
भले बादलों में षडयंत्र था
मेरे पास गम बहुत थे
और आँखों में पानी कम न था।
मैं रोया था
ये अल्फाज़ ठीक नही
वो आंसू नही थे
क्योंकि उसका उन्हें अहसास न था। ।
राम तो सबके हैं, लेकिन मंदिर पर अधिकार चंपत जी की टीम का ही है, जान लीजिए
व्यर्थ में दु:खी नहीं होंगे
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लखनऊ। पिछले कई दिनों से राम मंदिर ट्रस्ट, आयोध्या द्वारा खरीदी गई जमीन के
मामले में बवाल कटा पड़ा है। लेकिन बवाल क्यों है शायद ये ज्यादातर बवाल
करने ...
3 years ago