जाऊं तोह जाऊं कहाँ
मैं रोऊँ तोह रोऊँ कहाँ
मेरा कान्धा तोह
झूठे अपनों का रहा
अपनी ज़रूरत पर
हक जताऊं कहाँ
दुनिया लुटा दी वफ़ा में
बेवफाई को भुलाऊं कहाँ
जाऊं तोह जाऊं कहाँ
मैं रोऊँ तोह रोऊँ कहाँ
मेरे तोह अश्कों पर भी
रोक है ज़माने की
मेरी हंसी है जरिया
पैसा कमाने की
मयस्सर नहीं मुझे एक रोज़
जो मेरा हो
जी भर के रो लूँ जहां
एक ठौर तोह मेरा हो
मेरे अश्क अब बनके ज़हर
मुझे मार रहे
तेज़ाब की तरह
मेरे सीने को काट रहे
आरे अब तोह निकालने दो
इन अश्कों को अकेले में
चंद घंटे चंद पल अँधेरे में
मालूम है ये दौर है
रौशनी का
कभी तोह अमावास की रात
होगी यहाँ
तब तलक जाऊं तोह कहाँ
मैं रोऊँ तोह रोऊँ कहाँ