एक दिन एक समारोह में
प्रस्तोता बन ससम्मान गए
सभासद से मंत्री बने
एक जजमान मिले
कलाई देख मैंने पूछा
ये रोलेक्स कहाँ से आई?
बोले ये है मेहनत की कमाई
पूछा आपकी या जनता की ?
उनके मुख पर नो कमेंट्स वाली मुस्कान आई
मैंने फिर सवाल दागा
आप गरीबी क्यों नही मिटाते हो?
वो बोले क्यों मुझे गद्दार बनाते हो
जिस तबके ने चुना है
उसी को मिटा दूंगा
तो अपने नेताई ज़मीर को
क्या जवाब दूंगा?
काव्यनीति
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वेदना की शब्दवीथी न मेरी है ये काव्यनीति
है शशंकित मन जो तेरा उबार लूँ मैं यही प्रीती
राह पर नेपथ्य के चलना कठिन बस आज भर
कौन जाने क्या है आगे भविष्य तो बस...
9 years ago
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