Wednesday, October 8, 2008

जीवन की किताब

पन्ना पन्ना पलट के देखो
हर पन्ना इक दिन बीता है
किसी पन्ने पर है रामायण
तो किसी पर लिखी गीता है
मिलेगा मीठा झूठ भी इसमे
और किसी पर सच तीखा है
पन्ना पन्ना पलट के देखो
हर पन्ना इक दिन बीता है
राम बन फ़र्ज़ अदा किया है
की है कृष्ण सी अठखेलियाँ भी
पर छिपा लिया अंश रावण का
क्योंकि उसमे अहम् झूठा है
पन्ना पन्ना पलट के देखो
हर पन्ना इक दिन बीता है

3 comments:

अबरार अहमद said...

very nice

शोभा said...

बहुत सच लिखा है. बधाई.

Alok Nandan said...

excellent!!!! dost ye word verfication bahut paresan karata hai...ek bar is comment ko post karane ki koshish jarur karunga....
Likhate rahiye!!!