Tuesday, November 4, 2008

इस्लाम के लिए

न जाने क्यूँ काफ़ी दिनों से जितने भी इस्लाम को बचाने के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले समूह ( जिनके मुताबिक वो लोगों को इस्लाम से जोड़ने के लिए प्रयास कर रहे है, इस्लाम अन्य धर्मों के तुलना में सबसे बड़ा है जैसे नेक काम के लिए ये काम कर रहे) हैं से एक बात कहने का दिल कर रहा है। आज हर उस आतंकवादी संगठन के नाम ये संदेश, ये सुझाव है।

इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान में लिखा है की शराब हराम है, नशा हराम है । पर इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वाले लोगों ने कभी शराब को दुनिया से हठाने की कोशिश नही की। अगर वो ऐसा करते हैं तो लाखों लोग जो इस्लामिक नही भी हैं वो भी इस्लाम की असलियत को जानेगे। क्योंकि अभी तक इस्लाम के लिए इन समूहों ने आतंक ज़्यादा फैलाया है, जिससे इस्लाम का प्रसार या रक्षा नही हुई पर बदनामी ज़रूर हुई। जिससे इस्लाम को मानने वाले बेक़सूर लोगो को भी शक की निगाह से देखा जा रहा है। इस्लाम पर खतरा मंडरा है।(padhe-hamarelafz.blogspot.com)

शराब पर अगर पाबंदी लगती है तो दुनिया की वो तमाम औरतें जो अपने पति के शराब पीने से तंग हैं, वो तमाम लोग जिनका घर शराब बर्बाद कर रही है, जो लोग बीमार हो गए हैं पर शराब नही छोड़ पर रहे, जो लोग शराब के नशे में हुई घटनाओ में कोई अपना खो चुके है, और न जाने कितने परिवार चाहे वो किसी भी धर्म के क्यों न हों इस कदम से इस्लाम की अहमियत को पहचानेगे तब मैं भी मानूंगा की ये समूह इस्लाम का प्रसार चाहते हैं।

क्या ऐसा कदम उठाने कोई समूह आगे आएगा? मैं इंतज़ार कर रहा हूँ। पर अभी भी किसी चैनल पर , या घर के बाहर कोई धरना प्रदर्शन नही दिख रहा। पर मैं इंतज़ार करूँगा ऐसे किसी कदम के उठने तक

5 comments:

Unknown said...

इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान में और भी बहुत कुछ लिखा है पर कुछ लोग सिर्फ़ इस काम में लगे हैं कि किसी तरह हिंदू धर्म को आतंकवादी साबित कर दें. उनके हिसाब से यह अल्लाह की सच्ची इबादत और कौम की सच्ची सेवा है. आम मुसलमान के बारे में सोचने की फुर्सत किसे है?

Shiv said...

आपका संदेश और सुझाव बिल्कुल ठीक है. शराब ढेर सारी समस्याओं की जड़ है. चाहे धार्मिक संगठनों के प्रयास से हो, या फिर जैसे भी, इसे रोकने का काम बहुत नेक होगा.

Satyendra PS said...

अरे भाई कहां ये शराब बंदी जैसे आलतू फालतू मुद्दे में फंस गए। यहां तो आबकारी विभाग है जो देश भर को शराब में डुबाने के लिए कटिबद्ध है और मद्य निषेध विभाग देश भर के पियक्कड़ों को शराब से बचाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। अब ऐसे में हम आप क्या कर सकते हैं? दोनों विभागों के लोगों की नौकरी अच्छी खासी चल रही है- उधर मंदी का भी कोई असर नहीं है।

युग-विमर्श said...

मुसलमान कहलाना और इस्लाम की आत्मा को समझना, दो अलग स्थितियां हैं. कोई भी धर्मावलम्बी अपने धर्म की आत्मा को समझना नहीं चाहता. सब दूसरों पर दोषारोपण में व्यस्त हैं और एक-दूसरे को सीख देने का प्रयास कर रहे हैं.कोई भी आतंकवादी इस योग्य नहीं है कि उसे मुसलमान या हिन्दू कहा जा सके. जालीदार टोपी मढ़ लेने या माथे पर भरपूर तिलक लगा लेने से इंसान मुसलमान या हिन्दू नहीं हो जाता. यह सब राजनीतिक उबाल है जो समय के साथ ठंडा पड़ जायेगा.

Indian Nation Live said...

क्या आपको लगता है कि दूसरा पाकिस्तान नही बनेगा. ६२ साल किसी इन्सान के लिए लंबा समय होता है देश के लिए नही. फिर जब बंटवारा होगा तो कोई अली खान उसका समर्थन ही करेगा. ऐसा नही है कि सभी ने समर्थन किया हो पर बंटवारा तो हुआ. विरोध हुआ था क्या. आप अगले २५ साल में देख लीजियेगा. अभी देश कि राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक सभी कि हालत ख़राब है.