ओबामा बाहर आ रहे हैं। उनके चेहरे पर एक अजीब सा भावः है । न जाने क्या सोच रहे हैं एक ऐसे देश की गद्दी सँभालने जा रहे है जो दुनिया को सबसे ताकतवर देश है और फिलहाल आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहा है। बाहर आते हीउनमे वो ही गर्मजोशी दिख रही है जो चुनाव के दौरान उनके भाषण के दौरान दिखती है। हर इंसान को नही कह सकता पर भारतीय जो आतंकवाद के दंश से ग्रसित हैं वो बुश कार्यकाल के अलग अलग वादों से तंग आ चुके थे जो बुश के इंडिया में कुछ और पाकिस्तान में पाकिस्तान के प्रति अलग प्रतिक्रिया रखने वाले नज़रिए से तंग आ चुके थे, ओबामा के भाषण में , उनके विचारों में इंडिया के प्रति उनकी सोच को देखने के लिए टीवी के आगे बैठा है। कुछ सिविल सेवाओ की तैयारी कर रहे स्टुडेंट अपने एक्साम के लिए कुछ जानकारी पाने के लिए टीवी के आगे बैठे होगे, कारपोरेट अपनी व्यापार से जुड़े उनके विचार जानने के लिए बैठा होगा पत्रकार और स्तंभकार अप्नेअगले लेख के लिए टीवी देख रहे होगे सबके लिए ओबामा के भाषण अलग अलग उपयोगिता रखता है पर एक आम भारतीय के लिए ओबामा का आतंकवाद से त्रस्त भारत और पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादियों के प्रति उनके विचार ही प्राथमिकता हैं। ये लेख ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान लिखा जा रहा है। पूरे वर्ल्ड का मीडिया इसे एक ऐतहासिक पल मान रहा हैं। इसलिए की ये एक अश्वेत इंसान के अमेरिका के राष्ट्रपति बन ने की कहानी है। एक जलसा मनाया जा रहा है अमेरिका में । ये इंडिया में शपथ के दौरान नही होता। क्यों इसका जवाब ज़रूरी नही। क्योंकि उत्तर कई हो सकते हैं। मीडिया वाले इसे बदलाव की सुबह मान रहे हैं कुछ उम्मीद मुझे भी है पर हमें तब तक बदलाव की उम्मीद नही करनी चाहिए जब तक हमारे देश में कोई ऐसे नेता नही मिलता और जब तक हम जात, धर्म आदि के आधार पर अपने नेता का चुनाव करना बंद नही करते।
फिलहाल ओबामा का शपथ ग्रहण हो चुका है शपथ में थोडी गलती भी हुई इस दौरान......अमेरिका के चीफ जस्टिस ने ४४वे राष्ट्रपति को शपथ दिला दी। अमेरिका को एक उम्मीद दे दी और भारतियों को भी। भाषण स्टार्ट हो चुका है देखिये क्या कहते है वो?
बुश को थैंक्स कहा उन्होंने। कहा -
कई चुनैतियां हैं मेरे सामने।
युवाओं को महत्व दिया जायेगा।
हम संकट के दौर में है।
संकट जल्द ख़त्म नही होगा।
देश को और majboot banayenge
डर की जगह हमने उम्मीद को चुना
हम अपने mulyon पर kayam रहे
sab ko मिलकर काम करने की ज़रूरत
हर morche पर काम करना है
नफरत failane वालों को नही chodenge
सभी धर्मों का सम्मान होगा
arth vyavastha को majboot करेंगे
दूसरे देश के साथ अच्छे सम्बन्ध rakhenge
भाषण ख़त्म हो गया और उन्होंने लगभग अपनी जीत के बाद की बातें ही की। अब कल और आने वाले समय में देखिये क्या होता है? क्योंकि भाषण हम भारतीय विश्वास नही करते। और भाषण कुछ हमारी ummeed के हिसाब से था भी नही शायद ओबामा garjane में नही barasne में bharosa करते हैं।
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व्यर्थ में दु:खी नहीं होंगे
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मामले में बवाल कटा पड़ा है। लेकिन बवाल क्यों है शायद ये ज्यादातर बवाल
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3 years ago
2 comments:
Ya to tumney kabhi achhey Bhashan sune nahin. ya fir tum Bharta ki har samasya ka samadhaan Obama ke Bhashan mein dhoondh rahey ho. Jo ki ho nahin sakta. Hamen apni samsya khud hal karni hongi.
Obama ka Bhashan achha tha. Aaj ke apney netaon ke bhashan dekhon aur ise dekhon (except Atal ji). Is Bhashan mein Obama ne duniya ke smast deshon ko saath le kar chalney ki asha dikhai hai. Shayad Bharat jab vishwaguru tha tab aisa hi sochta hoga.
बड़ा भव्य समारोह रहा..कल देखा टीवी पर.
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