विश्वास है इसमें कुछ खास है!!!!!!!!!!!क्या आप में से
किसी ने जे के सिमेंट का विज्ञापन देखा? कोई समझा सकता है उसमे बिकनी पहनी लड़की और समुद्र से निकलने से सीमेंट की खासियत का पता कैसे लगता है... न जाने किस विज्ञापन गुरु ने डिजाईन का किया है?कृपया किसी को पता हो उसका पता तो बताइए..... मुझे वो भी विश्वास अपने अन्दर लाना है की इसमें कुछ खास है.....
औरतों को नंगा कर जिस्म की इस तरह नुमाइश ठीक नहीं है... देख कर हंसू विज्ञापन गुरु पर या रोऊँ उस इंसान की मानसिकता पर जो ये सोचता है कि भारत कि जनता सेक्स के लिए कुछ भी कर सकती है या नंगापा परोस कर कुछ भी बेचा जा सकता है ...पहले डेओ और शराब के विज्ञापनों में अधनंगी लड़कियां के प्रयोग और न जाने कहाँ कहाँ? क्या बात करूँ साला मूड पूरा ऑफ कर दिया ऐसे लोगों ने.... अभिव्यक्ति की आज़ादी ने कुछ ज्यादा ही पर लगा दिए ऐसी मानसिकता वालो के बिना सोचे समझे उड़ते हुए हमारी संस्कृति पर हंस रहे हैं.....
क्या करूँ? क्या उम्मीद करूँ और किस से करूँ समझ नहीं आता। उस लड़की से जिसने ये विज्ञापन किया या उससे जो उस कंपनी का मालिक है या
sarkaar से या आप से या खुद से ...............पर कहूँ क्या मैं किसी को क्योंकि ये अपराध नहीं है कानूनन.......इसलिए आप सबसे उम्मीद है कि ऐसे लोगों पर हंसकर उनका विरोध करे...........
11 comments:
we can not control whole world , can we ignore it?
good... we should ignore this type os ads
आपका ध्यान गया इस ओर...बस्स!! यही मंशा थी विज्ञापन बनाने वालों की. विज्ञापन सफल कहलाया.
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
समीर लाल जी तो शायद लाल रंग से ही आकर्षित हो जाते उनके नाम में जुड़ा है रंग। बस्स्स्स सफल सुफल हो गया विज्ञापन। एक आप हैं कि इतना सब कुछ देख कर भी न समझ सके कि शायद वह लड़की अपने कौमार्य को सीमेंट जैसी मजबूती का प्रतीक के तौर पर बता रही है। है न चमत्कारिक कल्पनाशीलता....
हम जिसे कल तक विकृत नंगापन कहते थे आज उसे कला कह दिया जाता है इन लोगों का बहिष्कार ही उपाय है वरना कल ये कल बिकाऊ लड़कियो के वो कपड़े भी उतरवा लेंगे आपको दिखाने के लिये बकौल समीर जी..... ध्यान तो विकृति पर भी जाता है जुगुप्सा उपजती है लेकिन ये तो विज्ञापन का फंडा है। धिक्कार है थू है ऐसे लोगों पर...
ये अंदर की बात है।
I am in the mood of mischief.................... ye wahi vigyapan hai jisko aage badhaya gaya hai aur aurton ko firse bechane(vigyapan karne)ka jimma diya gaya hai......
Vigyapan to ek bahana hai......
Is nangepan ki duniya ko aur aage badhana hai......
THESE DAYS ADVERTISEMENT IS NOT FOR JOURNAL AWARENESS ....ITS FOR MONEY AND COMPETITION....SO WHO CARES ....?
BUT GOOD WORK BY YOU .........
Nahi us ad guru ne shayad ye batane ki koshish ki hai ki Bikini Bala ko dekhte hi aap jk ciment ki tarah jam jate hain
I have seen that ad and its a total crap! I read somewhere good ads add to 16% hike to the total sale. But I am damn sure that ad would have done no good to the product!!
Earlier myself also did,t understand what the advertiser want to convey,but after watching the add regularly I came to know that the main motto of the advertiser is to create confusion in the mind of the target audience and make them to watch the add regularly to find the answer,even we know there is no relation between J.P Cement and a girl in a bikny.
Earlier myself also did't understand what the advertiser want to convey.But after watching the Add regularly I came to know that main motto of the advertiser is to confused the mind of the target audience, because they know that people will watch the add to find their answer, even though there is no match between a J.P Cement and a girl in a Bikny.
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