काव्यनीति
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वेदना की शब्दवीथी न मेरी है ये काव्यनीति
है शशंकित मन जो तेरा उबार लूँ मैं यही प्रीती
राह पर नेपथ्य के चलना कठिन बस आज भर
कौन जाने क्या है आगे भविष्य तो बस...
किताब और मैं ..!!
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किताबों और मेरा रिश्ता बड़ा अजीब रहा है ! बचपन से लेकर आज तक मैं किताबों
से बचने की कोशिश करता आया हूँ ! और ये किताब भी बड़ी कमाल की चीज़ है ये मुझे
खोज न...
आज फिर वही काम तेरे बाद किया
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आज फिर खोल दिया उसका लिफाफा मैंने।
आज फिर अपने लडकपन पे नाज किया।।
आज फिर टकरा गया चलते चलते खंभे से।
आज फिर लगा कि किसी ने याद किया।।
तेरे टोकने का अंदाज...
यूं ही नहीं बन गये वह 'समीर'
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इश्क का दामन थामे वह वक्त के साथ बहता चला जा रहा था। उसे भी उम्मीद नहीं थी
कि वह जिन अनजान राहों पर चल पड़ा है वो उसे ऐसे मुकाम पर पहुंचा देगी जिसकी
तलाश ...
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Zeba Hasan
LUCKNOW (21 Feb): बच्चों के लिए अपने दिल के दरवाजे हर वक्त खुले रखने वाले,
हर बच्चे को अपने बच्चों सा समझने वाले उमेश जोशी पत्नी के साथ ओल्ड ए...
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