Tuesday, April 28, 2009
वोट फॉर्म १७ ऐ से, और नक्कार दे अपराधियों को
हम में से काफी इस अधिकार के बारे में नही जानते। हमे जाकर पोलिंग बूथ पर फॉर्म १७ ऐ भरना होगा और उसका प्रतिशत ज़्यादा होने पर उस एरिया में दोबारा मतदान कराया जाएगा। पहले खड़े उम्मीदवारों को दोबारा चुनाव लड़ने नही दिया जाएगा । इस प्रकार पार्टियाँ सही व्यक्ति को टिकेट देने पर मजबूर हो जाएँगी।
कोई नेता इसकी जानकारी लोगों को नही देता इसकी वजह आप समझते होंगे। मीडिया भी इस मुद्दे को नही उठाते शायद उनमे से काफी का अपना हित छुपा हो। पर अब ये जानकारी लोगों तक पहुचना हमारा काम है। अब हमारा काम है हल्ला बोलना इस फॉर्म १७ ऐ के साथ.... अपना कमेन्ट ज़रूर दे इस जानकारी पर ......
Wednesday, April 22, 2009
मैं अगर तुझसे.....
दूर भी जाऊंगा
तेरी आँखों से
नमी चुरा ले जाऊंगा
गम को पास आने की
इजाज़त न होगी
खुशी को तेरा
पहरेदार बना जाऊंगा।
Wednesday, March 18, 2009
अब मुझे दकियानूस नही समझना
आजकल टीवी पर एक विज्ञापन आ रहा है जो काफी बढ़िया है। वो है पेट्रोल और कुकिंग गैस बचाने का विज्ञापन। एक बच्चा अपने पापा से ट्रैफिक में रुकी कार में कहता है की साइकिल रिपयेर की दुकान खोलेगा। उसके पापा के चौंकने पर वो कहता जिस तरह से लोग पेट्रोल बरबाद कर रहे हैं उससे एक दिन पेट्रोल ख़त्म हो जाएगा और लोग साइकिल चलाएंगे.......................पेट्रोल पम्प पे कम करने वाला और गैस डिलिवरी करने वाला २०% छूट की बात करता है। और पूछने पर सलाह देता है वो तो आपके हाथ में है। ४५ किमी /घंटे की स्पीड से गाड़ी चलने, सिग्नल पर इंजन बंद करने और कुकर का प्रयोग करने व् खाना ढककर पकाने से २०% गैस और पेट्रोल की बचत होगी।
अच्छा प्रयास है... पर जब मैं घर पर या किसी जानने वाले से पानी की बचत करने, बिजली बचाने आदि के बारे में कहता हूँ तो उन्हें मैं शायद दकियानूस लगता हूँ या वो मुझे भाषण देने वाला समझते हैं। पर मेरी बात नही सुनी जाती या वो भूल जाते हैं कुछ कहते हैं सिर्फ़ हमारे करने से क्या होगा?
कोई यहाँ कुछ करना नही चाहता ये बचत कितनी ज़रूरी है और कितनी बड़ी है ये बात पिज्जा खाने वाला, माल में घुमने वाला, कानो में बाली पहनने वाला और फटी जींस (स्टाइल के लिए) पहनने वाला लड़का, और ऐसे लड़को के साथ रहना पसंद करने वाली और अख़बार के सिर्फ़ पेज ३ पढने वाली लड़की, बेटे बेटी की शराब पीने को मामूली गलती और आज का दौर बताने वाले माता पिता शायद ही इसे समझे। हाँ विज्ञापन को देखकर उन्हें ये कांसेप्ट बढ़िया लग सकता है और ज़्यादा से ज़्यादा उन्हें इस field में करियर बनने की इच्छा हो सकती पर ...खैर मेरा मकसद तो इस विज्ञापन बनाने वाले, इसे जारी करवाने वालो का धन्यवाद् देना था क्योंकि उन्होंने मुझे दकियानूस साबित नही होने दिया...
Tuesday, February 10, 2009
विज्ञापनों में महिला का चरित्र.... विरोध में गुलाबी चड्ढी कब?
ये तो कुछ भी नही एक डेओ के विज्ञापन में एक लड़की डेओ की महक की वजह से उस डेओ लगाये लड़के साथ सेक्स के बारे में सोचती है।
मैंगलोर में जो हुआ उस से बुरा हमला लड़कियों और भारतीय संस्कृति पर ये विज्ञापन हैं। कोई महिला संगठन या कोई श्री राम या शिव सेना इसके ख़िलाफ़ हल्ला क्यो नही बोलती। कोई महिला इन विज्ञापनों के विरोध के लिए पिंक चड्ढी क्यों नही भेजती? क्या लड़कियां सिर्फ़ इन वस्तुओं के लिए प्यार करती हैं? क्या सिर्फ़ एक डेओ की महक से ये अपने जिस्म को लड़को के हवाले कर देती हैं।
Thursday, January 29, 2009
श्री राम सेना, पब संस्कृति और हम, पर सब ग़लत
हाल ही में श्री राम सेना के लोगों ने एक पब में कुछ लोगों की पिटाई की। ज़ाहिर से बात है उन्हें इस बात की आज़ादी संविधान ने नही दी। इस बारे में जानकारी मीडिया से ही प्राप्त हुई। और कल तक इस विषय पर लोगों की राय, नेताओं की राय, महिला समूहों की राय ली जा रही है। सब एक सुर में कह रहे है (कुछ को छोड़कर और कल तक उनके बयान भी बदल जायेंगे) कि महिलाओं पर अत्याचार हुआ है। चैनेल्स पर भी लड़कियों को पिटते हुए दिखाया गया है। लोग कह रहे ये महिलाओं पर अत्याचार है शायद उन्होंने विडियो को ढंग से नही देखा उसमे एक लड़के को कहीं ज़्यादा बुरी तरह से पीटा गया। इस से ये तो तय है की वो सिर्फ़ महिला विरोधी नही थे। पर इसका मतलब ये भी नही की वो सही थे। टीवी पर एक बुजुर्ग राय दे रहे थे कि पब आदि में जाना सही है इससे लड़के लड़की में मेल बढेगा और विवाह आदि में जाति, धर्म के बंधन ख़त्म होगे।
कुछ दिनों पहले पटियाला में लड़कियां पब में गईं थी और कुछ ऐसा हो रहा था कि मीडिया ने पुलिस को जानकारी दी और फिर कुछ ऐसी तस्वीर सामने आई कि महिला संस्कृति (मेरे हिसाब से शर्मसार हुई) लड़कियां शराब पीकर सड़कों पर पड़ी थी कुछ तो अपने अर्धनग्न बदन को ढकने की हालत में भी नही थी। पंजाब मीडिया ने इस ख़बर को दिखाया था। क्या पटियाला में जो हुआ वो सही था? मुंबई में भी एक रेव पार्टी में कुछ लोग पकड़े गए थे। उन में से ९० % से ज़्यादा लोग चरस आदि जैसे नशे करने के दोषी पाए गए। कुछ समय पहले शायद मुंबई में ही नए साल कि पार्टी में लोगों के समूह ने एक लड़की से बदतमीजी की थी और वो ख़बर सुर्खियों में आई थी।
हमारे लोग श्री राम सेना का विरोध तो कर रहे हैं जो सही है पर ऐसी पब पार्टियों का समर्थन क्यों कर रहे हैं समझ नही आता? काफ़ी पढ़ी लिखी महिलाओं ने लड़कियों के शराब पीने को उचित बताया। मेरे हिसाब से उन्हें पुरूष के शराब पीने पर आपत्ति करनी चाहिए थी क्योंकि इस देश में काफ़ी अपराध नशे में होते हैं। पर उन्होंने लड़कियों के शराब पीने का समर्थन किया। हाल ही में आई फैशन फ़िल्म में भी अभिनेत्री प्रियंका चोपडा नशे में धुत एक अनजाने लड़के के साथ डांस करती हैं और जब होश आता है तो उसके साथ बिस्तर पर मिलती हैं। अब आप बताये आपके अनुसार लड़कियों के शराब के समर्थन का जवाब क्या सही था?
लगता है देश में अब चारित्रिक पतन होना शर्मनाक नही है। मैं श्री राम सेना का समर्थक नही पर लोगों को उनके विरोध व् अश्लीलता और नशे के समर्थन में फर्क करना चाहिए। हल्ला बोलो ऐसी श्री राम सेना के असामाजिक काम के ख़िलाफ़। साथ ही भारतीय संस्कृति को धूमिल करने वाले ऐसे डिस्क, पब संस्कृति के ख़िलाफ़ भी। हमे नशे के ख़िलाफ़ हल्ला बोलना है चाहे वो पुरूष करे या महिला।
Tuesday, January 20, 2009
ओबामा और आज प्रेजिडेंट ओबामा की शपथ
फिलहाल ओबामा का शपथ ग्रहण हो चुका है शपथ में थोडी गलती भी हुई इस दौरान......अमेरिका के चीफ जस्टिस ने ४४वे राष्ट्रपति को शपथ दिला दी। अमेरिका को एक उम्मीद दे दी और भारतियों को भी। भाषण स्टार्ट हो चुका है देखिये क्या कहते है वो?
बुश को थैंक्स कहा उन्होंने। कहा -
कई चुनैतियां हैं मेरे सामने।
युवाओं को महत्व दिया जायेगा।
हम संकट के दौर में है।
संकट जल्द ख़त्म नही होगा।
देश को और majboot banayenge
डर की जगह हमने उम्मीद को चुना
हम अपने mulyon पर kayam रहे
sab ko मिलकर काम करने की ज़रूरत
हर morche पर काम करना है
नफरत failane वालों को नही chodenge
सभी धर्मों का सम्मान होगा
arth vyavastha को majboot करेंगे
दूसरे देश के साथ अच्छे सम्बन्ध rakhenge
भाषण ख़त्म हो गया और उन्होंने लगभग अपनी जीत के बाद की बातें ही की। अब कल और आने वाले समय में देखिये क्या होता है? क्योंकि भाषण हम भारतीय विश्वास नही करते। और भाषण कुछ हमारी ummeed के हिसाब से था भी नही शायद ओबामा garjane में नही barasne में bharosa करते हैं।
Saturday, January 17, 2009
बिक रही मासूमियत बाज़ार के लिए.....
इन प्रोग्राम्स में बच्चों की मासूमियत भी मर रही है। जीतने के लिए बच्चों को फूहड़ चुटकले, हरकतें करते देख अजीब सा लगा इतना तो तय था की ये उनकी सोच नही है उन्हें सिखाया गया है। जोकि उन बच्चों के पैरेंट्स आदि के लिए शर्मनाक है। और यदि ये बच्चों की सोच है तो भी अभिवावकों की भूमिका ही ग़लत मानी जायेगी। मेरा अनुरोध है की इन मासूमों के बचपन को बाज़ार के किसी उत्पाद की तरक्की के लिए इस तरह बरबाद न करें और ऐसे प्रोग्राम की भर्त्सना करें।