Thursday, December 24, 2009

देश में पानी की स्थिति.....


हिंदुस्तान अखबार में छपी ये खबर की क्लिप देश में पानी की स्थिति को दर्शा रही है..... आप सबसे अनुरोध है कि पानी को बचने के लिए अपने घर से और खुद से शुरुआत करे और इस तरह के आंकड़ों को पानी बर्बाद करने वालों को ज़रूर पढाये.......

Sunday, December 6, 2009

राजू श्रीवास्तव और भारतीय जनता पार्टी

राजू श्रीवास्तव और भारतीय जनता पार्टी में एक समानता है...... भारतीय जनता पार्टी के बारे में तो पहले से पता था की उसका वोट बैंक तो अच्छा खासा है पर वो चुनाव के दिन वोट देने नही जाता क्योंकि उसे और काम ज़्यादा ज़रूरी लगते हैं... कुछ येही अपने राजू भाई के साथ हुआ राजू भाई की तरह मुझे भी विश्वास था की वो बिग बॉस से बाहर नही होगें पर जब रिजल्ट आया तो समझ आ गया भारतीय जनता पार्टी वाली कहानी यहाँ भी हो गई ... एक बात और राजू भाई का दर्शक ज़्यादातर हँसी खुशी वाले प्रोग्राम देखता है शायद इसलिए उसने बिग बॉस न देखा हो...

खैर राजू भाई आप उस प्रोग्राम में मौजूद किसी भी व्यक्ति से ज़्यादा लोकप्रिय हो इसमे कोई शक नही... बस आपका फैन्स या तो बिग बॉस कम देख रहे होंगे या ये तो निश्चित है की वो भी इसी विश्वास में होगे की आपको तो कोई हटा नही सकता और सबसे ज़्यादा वोट आपको मिलेंगे और इसी चक्कर में ख़ुद वोट नही किया होगा जैसा भाजपा का वोटर करता है.....

Wednesday, October 21, 2009

बस इतना याद रहे एक साथी और भी था!!!!!!----एन सन पालिश वाला -भूतपूर्व सैनिक

जाओ जो लौट के तुम घर हो खुशी से भरा, बस इतना याद रहे एक साथी और भी था!!!!!!
ये लाइन सुनकर मैं बड़ा भावुक हो गया था... पर इन्हे कितना लोग समझेंगे जब अपने जिंदा साथी की किसी ने सुध नही ली.... खैर ये क्यों कहा मैंने ये देखे

लखनऊ के आई टी churahe से गुज़रते वक्त अचानक नज़र पड़ी एक इंसान पर और मैं चौंक गया। बात ही चौंकने वाली और अन्दर से महसूस करने वाली थी। पहले उस इंसान का परिचय नाम - एनसन सहाय उम्र - ७० साल, पता -६५ maanas nagar, PO sarvoday nagar, lucknow, उत्तर pradesh, पेशा-निकिल और गाड़ी चमकाने की पालिश बनाना और बेचना। बनाने का मतलब कोई बड़ी फैक्ट्री नही और नही बेचने के लिए कोई मार्केटिंग की टीम। बस वोही निर्माता और वोही बेचनेवाला अपनी पुराणी साइकिल पर एक थैले में रखकर।



आप लोग सोच रहे होंगे इसमे क्या नया है ऐसे तो कई लोग हैं दुनिया में। पर मुझे कुछ खास दिखा उसकी साइकिल पर। उसकी साइकिल पर एक बोर्ड टंगा था जिसपर लिखा था एनसन पालिश नीचे लिखा था भूत पूर्व सैनिक। बस ये ही board था जिसने मुझे इंसान के पीछे जाने के लिए मजबूर कर दिया। पर जब बात हुई तो वो मेरी उम्मीद से कुछ ज़्यादा बड़ी बात थी मैंने फटाफट कुछ न्यूज़ चैनल्स को फ़ोन की आपके लिए एक ख़बर है। पर मेरा उद्देश्य सिर्फ़ मीडिया में ख़बर देना भर नही था कुछ और था।



एनसन सहाय वक्त का मारा हुआ इंसान था। जिसने करीब १३ साल देश की सेवा की। वो गनर मोर्टार व् एम् टी ड्राईवर था भारतीय सेना में। सिर्फ़ इतना ही नही वो १९६२ में china और १९६५ की पाकिस्तान के साथ हुई लडाई में भी शामिल था। मैंने जब उनसे बात की तो पता लगा की उन्हें पेंशन नही मिलती क्योंकि उन्होंने १२ साल ६ माह की नौकरी की थी। एन सन को सर्विस नो लॉन्गरिकुयारेड के तहत1971 में हटा दिया गया था। उनके हटने के १-२ माह में फिर से पाकिस्तान के साथ लडाई एन सन को देश सेवा का जूनून था इसलिए उन्होंने लडाई में शामिल होने के लिए अर्जी दी पर वो स्वीकार नही हुई।



आज एन सन पालिश बेचते है मैंने उनसे पालिश के बारे में पुछा तो वो पालिश को मेरी गाड़ी पर मलकर उसके प्रयोग का तरीका बताने लगे। मुझे एक देशभक्त को इस तरह करता देख अच्छा न लगा मैंने उन्हें रोक दिया। मैंने उनसे परिवार के बारे में पूच तो उन्होंने बताया की बेटा और बेटी हैं पर उनसे कोई सहयोग नही मिलता। जीविका के लिए वो रोज़ कई किलोमीटर साइकिल चलाते हैं और दिन में ५०-१०० रु कमा लेते हैं। इन बातो के दौरान एन सन के अन्दर का अनुशासन साफ़ झलक रहा था।



एन सन आज भी देश के लिए लड़ने की बात करते हैं। एनसन आज के युवा में देशभक्ति नही पाते और कान में बाली (faishion ke liye) पहनने वाले को नाचने वाला कहते हैं। एन सन के मन में आर्मी छूटने का मलाल था और आर्मी से प्रोविडेंट फंड के अलावा कुछ और न मिलने के बाद भी कायम था। एक sawal मन में kaundh रहा था की ५ साल vidhayak या सांसद रहने वाले को पेंशन मिलती है पर एक ऐसे इंसान को क्यों नही?

kahin सुना था की sarkaar yudh में लड़ चुके sainiko के लिए काफ़ी suvidha muhaiya karati है तो वो आज तक एन सन को इ नही mili ? अगर नही भी karati है तो ऐसे इंसान के लिए क्या कुछ करना नही चाहिए?



मुझे नही पता क्या kaanunan एनसन को milna चाहिए पर अगर आपको पता है तो कुछ kariye क्योंकि वो आज भी एक सच्चा sipahi है। और kanoonan agar नही मिल सकता तो भी ऐसे देश bhakto ke लिए हमें ladna होगा और halla बोलना होगा......

Friday, October 2, 2009

एक से या अनेक से पर कंडोम से............

एक से या अनेक से पर कंडोम से ! आप लोग चौंक गए अरे ये मैंने क्या लिख दिया या ये मैं क्या कह रहा हूँ या लगता है विशाल आज पागल हो गया।

ऐसा मत सोचियेगा क्योंकि ये मेरा संदेश नही है। कुछ दिनों पहले मैंने एक प्रचार गाड़ी को देखा तो रक्षक कंपनी कंडोम का प्रचार कर रही थी और ये संदेश उस गाड़ी पर लिखा लिखा हुआ था। पढ़ कर मेरा दिमाग बहुत ख़राब हुआ। कंडोम का प्रचार ऐड्स से बचने के लिए होता था, जनसँख्या वृद्धि रोकने लिए होता था पर ये संदेश तो कुछ और भी कह रहा था आख़िर क्या असर पड़ता होगा उन युवाओं और बच्चो पर जो इसे पढ़ रहे होगे।



कुछ मानक होने चाहिए और कुछ नैतिकता भी। अब समझ में आता है क्यूँ सेक्स एजूकेशन के बाद U S A में बच्चों में सेक्स करने और कम उम्र में गर्भवती होने के मामलो में बढोत्तरी हुई। क्यों आई पिल जैसी दवाइयाँ बाज़ार में आने के बाद लड़कियों पर गंदे जुमले बन ने लगे। क्यों ज्यादातर कम उम्र की और अविवाहित लड़कियों में इसकी खरीद ज़्यादा देखी गई।



क्यों सेक्स एजूकेशन का विरोध ज़रूरी लग रहा है मुझे आज शायद इसलिए की एक डर हुआ करता था और एक शर्म हुआ करती थी की गर्भ न आ जाए आज वो डर हमने ख़त्म कर दिया और बच्चों को गर्त में भेज दिया। कंडोम बुरा नही है और न ही आई पिल जैसी दवाइयाँ ग़लत है तो प्रचार का तरीका और मार्केटिंग का तरीका...... कोई है जो हल्ला बोलेगा ऐसे असांस्कृतिक और अनैतिक प्रचार के ख़िलाफ़....




Tuesday, July 21, 2009

मुझे मारने के लिए बल्ले की ज़रूरत नही.. ये शब्द याद बन गए

"मुझे मारने के लिए बल्ले की ज़रूरत नही पड़ती मेरे हाथ ही काफी हैं ।" ये बातें हफी की हैं एक ऐसा इंसान जो अपने उसूलों से समझौता नही करता था। वो आई एच एम् के उन ज्यादातर लोगों की तरह नही था जो शराब और नशे में मशगूल रहते हैं। वो ६ फुट २ इंच का लड़का अपने परिवार की प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझता था।

कल नाजिश का उदय पुर से फ़ोन आया और जब उसने बताया की हफी अब हमारे बीच नही रहा तो मैं कुछ समझ नही पाया लगा शायद मजाक कर रहा है और वो लखनऊ आया हुआ होगा और मुझे मिलने के लिए बहाना कर रहा है। मैंने अंकित मेहता को फ़ोन कर कन्फर्म किया पर उसने भी....... मैं निकल पड़ा इस उम्मीद से कि ये दोनों झूठ बोल रहे होंगे और मुझे उसके घर पर मिलेंगे। पर जब पंहुचा तो....... उसे देखा तो लगा कि उसका दिल धड़क रहा है मैं चौंक गया पर चलती हवा ने मेरी इस वहम को तुंरत मिटा दिया। फ़िर भी न जाने क्यूँ आख़िर तक लगता रहा कि ये अभी उठ जाएगा और कहेगा निक्की भइया! येही सोच कर मैंने अजीम भइया को उसका नम्बर डिलीट करने के लिए मना कर दिया। अजीम भइया से भी उसे मैंने ही मिलवाया था और उसके जाने की ख़बर भी मैंने ही उन्हें दी। कल ही तो अपने ऑफिस में उसे करीब २ बजे याद किया और कल शाम ही ये मनहूस ख़बर मिली।

वो मुझे हमेशा याद रहेगा। वो मेरी ज़िन्दगी में एक अहम् रोल अदा करने वाला इंसान था मेरे भाई जैसा था वो।

Wednesday, July 8, 2009

मैं भीगा फ़िर भी....आँखों में पानी कम न था.

आज मेरे शहर में बारिश हो रही थी ऑफिस से लौटते वक्त रास्ते में कुछ लाइन दिमाग में आई वोही लिख रहा हूँ... शुरू की २ लाइंस किसी और की है वो भी ढंग से याद नही और लिखने वाले का नाम भी नही याद। आगे की लाइंस मेरी है। अगर अच्छा लगे तो कमेन्ट दीजियेगा.....

इस बार बादलों में कैसी साजिश हुई
मेरा घर छोड़ पूरे शहर में बारिश हुई।(ये किसी और की हैं)
मैं भीगा फ़िर भी
भले बादलों में षडयंत्र था
मेरे पास गम बहुत थे
और आँखों में पानी कम न था।
मैं रोया था
ये अल्फाज़ ठीक नही
वो आंसू नही थे
क्योंकि उसका उन्हें अहसास न था। ।

Monday, July 6, 2009

सामाजिक मान्यता के लिए बच्चे गोद लेंगे...

होमोसेक्सुअल संस्कृति पर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद जो बहस देश में छिडी है वो लाजिमी है। कई न्यूज़ चैनल्स पर इस मुद्दे पर बहस चल रही है। सभी धर्मो के धर्म गुरु कोर्ट के फैसले से सहमत नही। कई सामाजिक कार्यकर्ता भी इस मुद्दे पर भी होमोसेक्सुअल के फेवर में दिखे। कुछ टीवी कलाकार भी ये कह रहे थे के कोई अपनी इच्छा से कुछ भी करे और इसमे किसी और को नुक्सान तो नही पहुच रहा फ़िर इसमे ग़लत क्या है? अपनी इच्छा से कोई कुछ करे ये सही नही।

कल को खुलेआम लोग सेक्स करने लगेंगे तो ये कहेंगे इसमे किसी का क्या नुक्सान इसे अश्लीलता के दायरे से हटाया जाए। क्या ये मान्य होगा? हमारा देश मर्यादा पुरषोत्तम को पूजता है। आखिर मर्यादा भी तो कुछ है।

परिवारवाद को नष्ट करने की शुरुआत है ये homosexual sanskriti पर होमोसेक्सुअल संस्कृति के पक्षधर का कहना है कि हम बच्चे गोद लेंगे। आज समाज को दिखने के लिए ये गोद तो लेंगे पर उसे माँ बाप दोनों का प्यार मिल पायेगा? एक तो समाज इनको अपना नही पाया है तो सोचिये उस बच्चे को क्या झेलना पड़ेगा जिसे ये अपना नाम देंगे। क्या सीखेगा वो? इनके रिश्ते ख़ुद कितने दिन चल पाते हैं ये भी सोचने लायक है। फिर क्या होगा उस बच्चे का?

न जाने कैसे उदाहरण दे डाले इन लोगो ने धार्मिक मान्यता पाने के लिए कि सुनकर हसी आ गई। कहा गया कि भगवान् श्रीकृष्ण भी तो अर्धनारेश्वर थे। शिखंडी का उदहारण दिया गया। अब कौन समझाए इन लोगो कि भाई/बहनों कि इसका अर्थ ये नही कि वो होमोसेक्सुअल थे। पहली बार मैंने सभी धर्मो को एक जुट देखा। उन्हें भी इस मुद्दे पर धर्म का ठेकेदार कहकर न जाने क्या साबित करने पर लगे थे। खैर मेरे हिसाब से तो ये ग़लत है और एक सामाजिक बीमारी है। अपने देश की संस्कृति और मानव समाज के लिए होमोसेक्सुअल संस्कृति को मान्यता देने ग़लत होगा।