Thursday, December 24, 2009
देश में पानी की स्थिति.....
Sunday, December 6, 2009
राजू श्रीवास्तव और भारतीय जनता पार्टी
खैर राजू भाई आप उस प्रोग्राम में मौजूद किसी भी व्यक्ति से ज़्यादा लोकप्रिय हो इसमे कोई शक नही... बस आपका फैन्स या तो बिग बॉस कम देख रहे होंगे या ये तो निश्चित है की वो भी इसी विश्वास में होगे की आपको तो कोई हटा नही सकता और सबसे ज़्यादा वोट आपको मिलेंगे और इसी चक्कर में ख़ुद वोट नही किया होगा जैसा भाजपा का वोटर करता है.....
Wednesday, October 21, 2009
बस इतना याद रहे एक साथी और भी था!!!!!!----एन सन पालिश वाला -भूतपूर्व सैनिक
ये लाइन सुनकर मैं बड़ा भावुक हो गया था... पर इन्हे कितना लोग समझेंगे जब अपने जिंदा साथी की किसी ने सुध नही ली.... खैर ये क्यों कहा मैंने ये देखे
लखनऊ के आई टी churahe से गुज़रते वक्त अचानक नज़र पड़ी एक इंसान पर और मैं चौंक गया। बात ही चौंकने वाली और अन्दर से महसूस करने वाली थी। पहले उस इंसान का परिचय नाम - एनसन सहाय उम्र - ७० साल, पता -६५ maanas nagar, PO sarvoday nagar, lucknow, उत्तर pradesh, पेशा-निकिल और गाड़ी चमकाने की पालिश बनाना और बेचना। बनाने का मतलब कोई बड़ी फैक्ट्री नही और नही बेचने के लिए कोई मार्केटिंग की टीम। बस वोही निर्माता और वोही बेचनेवाला अपनी पुराणी साइकिल पर एक थैले में रखकर।
आप लोग सोच रहे होंगे इसमे क्या नया है ऐसे तो कई लोग हैं दुनिया में। पर मुझे कुछ खास दिखा उसकी साइकिल पर। उसकी साइकिल पर एक बोर्ड टंगा था जिसपर लिखा था एनसन पालिश नीचे लिखा था भूत पूर्व सैनिक। बस ये ही board था जिसने मुझे इंसान के पीछे जाने के लिए मजबूर कर दिया। पर जब बात हुई तो वो मेरी उम्मीद से कुछ ज़्यादा बड़ी बात थी मैंने फटाफट कुछ न्यूज़ चैनल्स को फ़ोन की आपके लिए एक ख़बर है। पर मेरा उद्देश्य सिर्फ़ मीडिया में ख़बर देना भर नही था कुछ और था।
एनसन सहाय वक्त का मारा हुआ इंसान था। जिसने करीब १३ साल देश की सेवा की। वो गनर मोर्टार व् एम् टी ड्राईवर था भारतीय सेना में। सिर्फ़ इतना ही नही वो १९६२ में china और १९६५ की पाकिस्तान के साथ हुई लडाई में भी शामिल था। मैंने जब उनसे बात की तो पता लगा की उन्हें पेंशन नही मिलती क्योंकि उन्होंने १२ साल ६ माह की नौकरी की थी। एन सन को सर्विस नो लॉन्गर रिकुयारेड के तहत1971 में हटा दिया गया था। उनके हटने के १-२ माह में फिर से पाकिस्तान के साथ लडाई एन सन को देश सेवा का जूनून था इसलिए उन्होंने लडाई में शामिल होने के लिए अर्जी दी पर वो स्वीकार नही हुई।
आज एन सन पालिश बेचते है मैंने उनसे पालिश के बारे में पुछा तो वो पालिश को मेरी गाड़ी पर मलकर उसके प्रयोग का तरीका बताने लगे। मुझे एक देशभक्त को इस तरह करता देख अच्छा न लगा मैंने उन्हें रोक दिया। मैंने उनसे परिवार के बारे में पूच तो उन्होंने बताया की बेटा और बेटी हैं पर उनसे कोई सहयोग नही मिलता। जीविका के लिए वो रोज़ कई किलोमीटर साइकिल चलाते हैं और दिन में ५०-१०० रु कमा लेते हैं। इन बातो के दौरान एन सन के अन्दर का अनुशासन साफ़ झलक रहा था।
एन सन आज भी देश के लिए लड़ने की बात करते हैं। एनसन आज के युवा में देशभक्ति नही पाते और कान में बाली (faishion ke liye) पहनने वाले को नाचने वाला कहते हैं। एन सन के मन में आर्मी छूटने का मलाल था और आर्मी से प्रोविडेंट फंड के अलावा कुछ और न मिलने के बाद भी कायम था। एक sawal मन में kaundh रहा था की ५ साल vidhayak या सांसद रहने वाले को पेंशन मिलती है पर एक ऐसे इंसान को क्यों नही?
kahin सुना था की sarkaar yudh में लड़ चुके sainiko के लिए काफ़ी suvidha muhaiya karati है तो वो आज तक एन सन को इ नही mili ? अगर नही भी karati है तो ऐसे इंसान के लिए क्या कुछ करना नही चाहिए?
मुझे नही पता क्या kaanunan एनसन को milna चाहिए पर अगर आपको पता है तो कुछ kariye क्योंकि वो आज भी एक सच्चा sipahi है। और kanoonan agar नही मिल सकता तो भी ऐसे देश bhakto ke लिए हमें ladna होगा और halla बोलना होगा......
Friday, October 2, 2009
एक से या अनेक से पर कंडोम से............
ऐसा मत सोचियेगा क्योंकि ये मेरा संदेश नही है। कुछ दिनों पहले मैंने एक प्रचार गाड़ी को देखा तो रक्षक कंपनी कंडोम का प्रचार कर रही थी और ये संदेश उस गाड़ी पर लिखा लिखा हुआ था। पढ़ कर मेरा दिमाग बहुत ख़राब हुआ। कंडोम का प्रचार ऐड्स से बचने के लिए होता था, जनसँख्या वृद्धि रोकने लिए होता था पर ये संदेश तो कुछ और भी कह रहा था आख़िर क्या असर पड़ता होगा उन युवाओं और बच्चो पर जो इसे पढ़ रहे होगे।
कुछ मानक होने चाहिए और कुछ नैतिकता भी। अब समझ में आता है क्यूँ सेक्स एजूकेशन के बाद U S A में बच्चों में सेक्स करने और कम उम्र में गर्भवती होने के मामलो में बढोत्तरी हुई। क्यों आई पिल जैसी दवाइयाँ बाज़ार में आने के बाद लड़कियों पर गंदे जुमले बन ने लगे। क्यों ज्यादातर कम उम्र की और अविवाहित लड़कियों में इसकी खरीद ज़्यादा देखी गई।
क्यों सेक्स एजूकेशन का विरोध ज़रूरी लग रहा है मुझे आज शायद इसलिए की एक डर हुआ करता था और एक शर्म हुआ करती थी की गर्भ न आ जाए आज वो डर हमने ख़त्म कर दिया और बच्चों को गर्त में भेज दिया। कंडोम बुरा नही है और न ही आई पिल जैसी दवाइयाँ ग़लत है तो प्रचार का तरीका और मार्केटिंग का तरीका...... कोई है जो हल्ला बोलेगा ऐसे असांस्कृतिक और अनैतिक प्रचार के ख़िलाफ़....
Tuesday, July 21, 2009
मुझे मारने के लिए बल्ले की ज़रूरत नही.. ये शब्द याद बन गए
कल नाजिश का उदय पुर से फ़ोन आया और जब उसने बताया की हफी अब हमारे बीच नही रहा तो मैं कुछ समझ नही पाया लगा शायद मजाक कर रहा है और वो लखनऊ आया हुआ होगा और मुझे मिलने के लिए बहाना कर रहा है। मैंने अंकित मेहता को फ़ोन कर कन्फर्म किया पर उसने भी....... मैं निकल पड़ा इस उम्मीद से कि ये दोनों झूठ बोल रहे होंगे और मुझे उसके घर पर मिलेंगे। पर जब पंहुचा तो....... उसे देखा तो लगा कि उसका दिल धड़क रहा है मैं चौंक गया पर चलती हवा ने मेरी इस वहम को तुंरत मिटा दिया। फ़िर भी न जाने क्यूँ आख़िर तक लगता रहा कि ये अभी उठ जाएगा और कहेगा निक्की भइया! येही सोच कर मैंने अजीम भइया को उसका नम्बर डिलीट करने के लिए मना कर दिया। अजीम भइया से भी उसे मैंने ही मिलवाया था और उसके जाने की ख़बर भी मैंने ही उन्हें दी। कल ही तो अपने ऑफिस में उसे करीब २ बजे याद किया और कल शाम ही ये मनहूस ख़बर मिली।
वो मुझे हमेशा याद रहेगा। वो मेरी ज़िन्दगी में एक अहम् रोल अदा करने वाला इंसान था मेरे भाई जैसा था वो।
Wednesday, July 8, 2009
मैं भीगा फ़िर भी....आँखों में पानी कम न था.
इस बार बादलों में कैसी साजिश हुई
मेरा घर छोड़ पूरे शहर में बारिश हुई।(ये किसी और की हैं)
मैं भीगा फ़िर भी
भले बादलों में षडयंत्र था
मेरे पास गम बहुत थे
और आँखों में पानी कम न था।
मैं रोया था
ये अल्फाज़ ठीक नही
वो आंसू नही थे
क्योंकि उसका उन्हें अहसास न था। ।
Monday, July 6, 2009
सामाजिक मान्यता के लिए बच्चे गोद लेंगे...
कल को खुलेआम लोग सेक्स करने लगेंगे तो ये कहेंगे इसमे किसी का क्या नुक्सान इसे अश्लीलता के दायरे से हटाया जाए। क्या ये मान्य होगा? हमारा देश मर्यादा पुरषोत्तम को पूजता है। आखिर मर्यादा भी तो कुछ है।
परिवारवाद को नष्ट करने की शुरुआत है ये homosexual sanskriti पर होमोसेक्सुअल संस्कृति के पक्षधर का कहना है कि हम बच्चे गोद लेंगे। आज समाज को दिखने के लिए ये गोद तो लेंगे पर उसे माँ बाप दोनों का प्यार मिल पायेगा? एक तो समाज इनको अपना नही पाया है तो सोचिये उस बच्चे को क्या झेलना पड़ेगा जिसे ये अपना नाम देंगे। क्या सीखेगा वो? इनके रिश्ते ख़ुद कितने दिन चल पाते हैं ये भी सोचने लायक है। फिर क्या होगा उस बच्चे का?
न जाने कैसे उदाहरण दे डाले इन लोगो ने धार्मिक मान्यता पाने के लिए कि सुनकर हसी आ गई। कहा गया कि भगवान् श्रीकृष्ण भी तो अर्धनारेश्वर थे। शिखंडी का उदहारण दिया गया। अब कौन समझाए इन लोगो कि भाई/बहनों कि इसका अर्थ ये नही कि वो होमोसेक्सुअल थे। पहली बार मैंने सभी धर्मो को एक जुट देखा। उन्हें भी इस मुद्दे पर धर्म का ठेकेदार कहकर न जाने क्या साबित करने पर लगे थे। खैर मेरे हिसाब से तो ये ग़लत है और एक सामाजिक बीमारी है। अपने देश की संस्कृति और मानव समाज के लिए होमोसेक्सुअल संस्कृति को मान्यता देने ग़लत होगा।
Saturday, July 4, 2009
पॉर्न साईट बैन- ग़लत या एक अच्छी शुरुआत
सविता भाभी एक जाना माना नाम। ये हाल में चर्चा में आया इससे पहले मैं इस नाम से वाकिफ नही था। ये बताने की ज़रूरत नही की ये एक पॉर्न कार्टून कॉमिक चरित्र है।
कभी कभी मीडिया कुछ ऐसी गलतिया कर जाती है की क्या कहा जाए जो साईट अभी तक काफ़ी लोगो ने देखी नही थी पर अब घर में बच्चे भी इस नाम वाकिफ है और सवाल पूछ रहे है कि ये कौन है? ये तो ज़ाहिर है कई लोगों के मन में इस साईट को ओपन करने की इच्छा हो रही होगी। एक tarike से इसे और prasiddhi मिल गई।
कुछ लोग इस साईट को बैन करने पर आपत्ति जता रहे हैं और तर्क दे रहे हैं कि साईट को बंद करने से क्या और भी साईट हैं वो बैन नही हुई तो ये क्यों? ये कौन लोग हैं क्या उनमे इतनी हिम्मत है कि अपने परिवार के साथ आ कर अपने माता पिता के सामने साईट के पक्ष में बात कर सकते हैं। नही कर सकते।
इस बैन पर मेरा ये सोचना है कि चलो ऐसी साइट्स के बैन होने कि शुरुआत तो हुई। क्या आप भी मेरे इस नज़रिए से सहमत हैं?
Friday, July 3, 2009
सामाजिक बीमारी है समलैंगिकता
टोड ने एक साँप को खा लिया वो भी वाइपर जाति के जो ज़हरीली होती है। लोस एंजेलिस के निक फोकोमेलिया बीमारी से ग्रसित हैं फ़िर भी तैरते हैं, गोल्फ खेलते हैं, फुटबॉल खेलते हैं। ये दो खबरें अजीब हैं और अच्छी भी। पर एक और अजीब ख़बर है मेरे हिसाब से जो अच्छी नही और उस पर ही कुछ विचार उमड़ रहे हैं....भारत में धारा ३७७ पर दिल्ली हाई कोर्ट के अजीब फैसले ने जो देश में अफरा तफरी का माहौल पैदा किया है। उस पर बहसों का सिलसिला शुरू हो चुका है। छोटे से कमरे से लेकर इसकी गूँज हर तरफ़ सुनाई देगी ।
मैं इस फैसले से सहमत नही। मेडिकल एक्सपर्ट ने कहा की समलैंगिकता कोई मानसिक विकार या किसी बीमारी का परिणाम नही। पर इसका अर्थ ये नही की ये सही। अप्रकर्तिक सम्बन्ध शरीर को नुक्सान तो पहुंचाते हैं साथ ही परिवार वाद और मनुष्य जाति पर खतरा है। आखिर क्या वजह है की लोग समलैंगिक हो रहे हैं? लड़कियों के बीच अधिक रहने वाले लड़को में उन जैसी हरकतें करने की आदत और फ़िर लड़कियों में उनके प्रति लड़को वाला आकर्षण नही रह जाता । और ऐसे लड़के passive गे बन जाते हैं। दूसरी तरफ़ Active गे बन ने में पश्चिमी संस्कृति जिम्मेदार है। जिन देशो या एरिया में लड़कियां कम कपडों में रहती हैं वहां लड़कों में उनके प्रति वो आकर्षण नही रह जाता । ये कुछ ऐसा ही है कोई पसंदीदा चीज़ मिल जाने के बाद उसके प्रति मोह नही रह जाता । इसलिए उन देशों में खास तौर से जो इस्लामिक हैं और परदा प्रथा है वहां गे कम ही देखने को मिलेंगे।
लड़कियों के lesbian बन ने की वजह में टीवी और इन्टरनेट एक बड़ा कारक है.साथ ही उनका एक दूसरे के साथ अधिक रहने वाली लड़कियों में, पॉर्न साइट्स , ब्लू फ़िल्म आदि देखने वाली लड़कियों में ये प्रॉब्लम पैदा होती है। इसीलिए गर्ल्स hostel में लड़कियां इन बातों में ज़्यादा शामिल होती हैं न की घर में परिवार के साथ रहने वाली। पर एक मुख्य वजह और है उस काम को करने की इच्छा जो ग़लत है।
सम्लैंगिकिता अपने मन पर कंट्रोल न रखने वाली मानसिक विकृति से उत्पन्न एक सामाजिक बीमारी है।
ज़रूरी नही जो कानूनन सही हो और एक समूह उसका समर्थक हो वो हमेशा सही हो। संस्कृति अभाव में मेट्रो शहरों में अपनापन न होना , बडो की इज्ज़त न करना , कम उम्र में sex और उसके MMS, नशा और न जाने क्या क्या हो रहा । इनमे से कुछ कानूनन ग़लत नही हैं पर इनपर अफ़सोस तो सभी को होता है।
Wednesday, July 1, 2009
डाक्टर्स डे पर डाक्टर्स ने मनाया जोक डे
मैंने टीवी पर शो में जज को जनता को ये संदेश देते सुना है कि किसी एक परफॉर्मेंस के आधार पर वोट न करे। मैं भी इसी विचार धारा का इन्सान हूँ। इसी विचार धारा के साथ मैं कुछ पुरानी ख़बरों को याद कर रहा हूँ जैसे अस्पताल के बाहर पैसे के आभाव में लोगो का मरना आदि आदि। और आज ही अख़बार में ख़बर है कि तीन साल पहले नसबंदी करा चुकी महिला गर्भवती हो गई। लोगो के अंग कि तस्करी करने वाले डाक्टर्स कि खबरें तो आपको भी याद होगी। महिला मरीजों से छेड़खानी करने वाले डाक्टर्स इन सब खबरों को याद कर आप भी अब शायद अपने विचारो में हर डाक्टर को भगवान नही मानेगे। डायग्नोस्टिक सेण्टर से कमीशन खाना और जिसका बोझ हर अमीर गरीब पर पड़ता है और हर जांच दोगुनी चौगुनी हो जाती है। दवाइयों में कमीशन खाना न जाने क्या क्या....
खैर आज एक इंटरनेशनल जोक डे भी है.... और डाक्टर्स डे पर डाक्टर्स के वादे भी अब जोक लग रह हैं। लगता है डाक्टर डाक्टर्स डे कि जगह जोक डे मना रहे हैं।
Saturday, June 13, 2009
इंडियन रेलवे-ट्रेन के शाहरुख़-रेलवे मिनिस्टर
जी नही। उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ अलग सीन होता। शायद कुछ ऐसा शुरुआत में ट्रेन निकलती देख न काजोल भागती और न शाहरुख़ हाथ निकलकर पकड़ता क्योंकि या तो ड्राईवर चला कर २०० मीटर चलने के बाद ट्रेन रोक खड़ा हो जाता(मैंने अक्सर इस हालत को झेला है ) या शाहरुख़ वैक्यूम (ये शब्द मैंने ट्रेन में सुना है) लगा कर आराम से १० मिनट के लिए ट्रेन रोक लेता। आखिरी सीन में भी कुछ ऐसा ही होता।
ये सीन सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क देश के २ बड़े राज्यों की दास्ताँ है हो सकता है कुछ और में भी हो पर मैंने दूसरी जगह इसे झेला नही है। ट्रेन आती है लेट, चलती है लेट, चलकर रूकती है फिर लेट होती है। जगह जगह लोग अपना घर पास आते ही ट्रेन रोक लेते हैं ऐसा पहले बस में होता था कि मोहल्ला या गाँव पास आया तो बस रोक ली स्टेशन तक कौन जाए एक ही शहर में १०-२० जगह लोग बस रोकते थे। अब ट्रेन में भी ये हो रहा है। आखिरी में तो और मज़ा आता है जब ट्रेन स्टेशन के नज़दीक पहुच जाती है तो आउटर पर खड़ी हो जाती है। न तो उतरते बनता है kyoki ख़ुद को सभ्य नागरिक दिखाना पड़ता है और जब आखिरी में सभ्यता टूटने लगती है तो आउटर पर रेल पटरियों पर सुबह सुबह लोगों की नित्य क्रिया और उसके बाद का माहौल उतरने नही देता। ये हाल तब है जब रेल मिनिस्टर कम से कम बातों में ही दिल्ली में मंत्रालय में समय देते थे अब न जाने क्या होगा जब रेल मिनिस्टर ने कहा कि वो ज़्यादा समय पश्चिम बंगाल में रहेंगी। एक गुजारिश है कोई इस लेख को उन्हें न सुनाये नही तो मैडम का गुस्सा तो आप लोग जानते ही होंगे .........
Saturday, May 23, 2009
तेरा साथ.......मेरी ज़िन्दगी...
ये मानता हूँ
मेरी ज़िन्दगी के लिए
तेरा साथ ज़रूरी है
पर क्या तेरे निगाह में
मेरा जिंदा रहना
इतना ही ज़रूरी है?
Tuesday, April 28, 2009
वोट फॉर्म १७ ऐ से, और नक्कार दे अपराधियों को
हम में से काफी इस अधिकार के बारे में नही जानते। हमे जाकर पोलिंग बूथ पर फॉर्म १७ ऐ भरना होगा और उसका प्रतिशत ज़्यादा होने पर उस एरिया में दोबारा मतदान कराया जाएगा। पहले खड़े उम्मीदवारों को दोबारा चुनाव लड़ने नही दिया जाएगा । इस प्रकार पार्टियाँ सही व्यक्ति को टिकेट देने पर मजबूर हो जाएँगी।
कोई नेता इसकी जानकारी लोगों को नही देता इसकी वजह आप समझते होंगे। मीडिया भी इस मुद्दे को नही उठाते शायद उनमे से काफी का अपना हित छुपा हो। पर अब ये जानकारी लोगों तक पहुचना हमारा काम है। अब हमारा काम है हल्ला बोलना इस फॉर्म १७ ऐ के साथ.... अपना कमेन्ट ज़रूर दे इस जानकारी पर ......
Wednesday, April 22, 2009
मैं अगर तुझसे.....
दूर भी जाऊंगा
तेरी आँखों से
नमी चुरा ले जाऊंगा
गम को पास आने की
इजाज़त न होगी
खुशी को तेरा
पहरेदार बना जाऊंगा।
Wednesday, March 18, 2009
अब मुझे दकियानूस नही समझना
आजकल टीवी पर एक विज्ञापन आ रहा है जो काफी बढ़िया है। वो है पेट्रोल और कुकिंग गैस बचाने का विज्ञापन। एक बच्चा अपने पापा से ट्रैफिक में रुकी कार में कहता है की साइकिल रिपयेर की दुकान खोलेगा। उसके पापा के चौंकने पर वो कहता जिस तरह से लोग पेट्रोल बरबाद कर रहे हैं उससे एक दिन पेट्रोल ख़त्म हो जाएगा और लोग साइकिल चलाएंगे.......................पेट्रोल पम्प पे कम करने वाला और गैस डिलिवरी करने वाला २०% छूट की बात करता है। और पूछने पर सलाह देता है वो तो आपके हाथ में है। ४५ किमी /घंटे की स्पीड से गाड़ी चलने, सिग्नल पर इंजन बंद करने और कुकर का प्रयोग करने व् खाना ढककर पकाने से २०% गैस और पेट्रोल की बचत होगी।
अच्छा प्रयास है... पर जब मैं घर पर या किसी जानने वाले से पानी की बचत करने, बिजली बचाने आदि के बारे में कहता हूँ तो उन्हें मैं शायद दकियानूस लगता हूँ या वो मुझे भाषण देने वाला समझते हैं। पर मेरी बात नही सुनी जाती या वो भूल जाते हैं कुछ कहते हैं सिर्फ़ हमारे करने से क्या होगा?
कोई यहाँ कुछ करना नही चाहता ये बचत कितनी ज़रूरी है और कितनी बड़ी है ये बात पिज्जा खाने वाला, माल में घुमने वाला, कानो में बाली पहनने वाला और फटी जींस (स्टाइल के लिए) पहनने वाला लड़का, और ऐसे लड़को के साथ रहना पसंद करने वाली और अख़बार के सिर्फ़ पेज ३ पढने वाली लड़की, बेटे बेटी की शराब पीने को मामूली गलती और आज का दौर बताने वाले माता पिता शायद ही इसे समझे। हाँ विज्ञापन को देखकर उन्हें ये कांसेप्ट बढ़िया लग सकता है और ज़्यादा से ज़्यादा उन्हें इस field में करियर बनने की इच्छा हो सकती पर ...खैर मेरा मकसद तो इस विज्ञापन बनाने वाले, इसे जारी करवाने वालो का धन्यवाद् देना था क्योंकि उन्होंने मुझे दकियानूस साबित नही होने दिया...
Tuesday, February 10, 2009
विज्ञापनों में महिला का चरित्र.... विरोध में गुलाबी चड्ढी कब?
ये तो कुछ भी नही एक डेओ के विज्ञापन में एक लड़की डेओ की महक की वजह से उस डेओ लगाये लड़के साथ सेक्स के बारे में सोचती है।
मैंगलोर में जो हुआ उस से बुरा हमला लड़कियों और भारतीय संस्कृति पर ये विज्ञापन हैं। कोई महिला संगठन या कोई श्री राम या शिव सेना इसके ख़िलाफ़ हल्ला क्यो नही बोलती। कोई महिला इन विज्ञापनों के विरोध के लिए पिंक चड्ढी क्यों नही भेजती? क्या लड़कियां सिर्फ़ इन वस्तुओं के लिए प्यार करती हैं? क्या सिर्फ़ एक डेओ की महक से ये अपने जिस्म को लड़को के हवाले कर देती हैं।
Thursday, January 29, 2009
श्री राम सेना, पब संस्कृति और हम, पर सब ग़लत
हाल ही में श्री राम सेना के लोगों ने एक पब में कुछ लोगों की पिटाई की। ज़ाहिर से बात है उन्हें इस बात की आज़ादी संविधान ने नही दी। इस बारे में जानकारी मीडिया से ही प्राप्त हुई। और कल तक इस विषय पर लोगों की राय, नेताओं की राय, महिला समूहों की राय ली जा रही है। सब एक सुर में कह रहे है (कुछ को छोड़कर और कल तक उनके बयान भी बदल जायेंगे) कि महिलाओं पर अत्याचार हुआ है। चैनेल्स पर भी लड़कियों को पिटते हुए दिखाया गया है। लोग कह रहे ये महिलाओं पर अत्याचार है शायद उन्होंने विडियो को ढंग से नही देखा उसमे एक लड़के को कहीं ज़्यादा बुरी तरह से पीटा गया। इस से ये तो तय है की वो सिर्फ़ महिला विरोधी नही थे। पर इसका मतलब ये भी नही की वो सही थे। टीवी पर एक बुजुर्ग राय दे रहे थे कि पब आदि में जाना सही है इससे लड़के लड़की में मेल बढेगा और विवाह आदि में जाति, धर्म के बंधन ख़त्म होगे।
कुछ दिनों पहले पटियाला में लड़कियां पब में गईं थी और कुछ ऐसा हो रहा था कि मीडिया ने पुलिस को जानकारी दी और फिर कुछ ऐसी तस्वीर सामने आई कि महिला संस्कृति (मेरे हिसाब से शर्मसार हुई) लड़कियां शराब पीकर सड़कों पर पड़ी थी कुछ तो अपने अर्धनग्न बदन को ढकने की हालत में भी नही थी। पंजाब मीडिया ने इस ख़बर को दिखाया था। क्या पटियाला में जो हुआ वो सही था? मुंबई में भी एक रेव पार्टी में कुछ लोग पकड़े गए थे। उन में से ९० % से ज़्यादा लोग चरस आदि जैसे नशे करने के दोषी पाए गए। कुछ समय पहले शायद मुंबई में ही नए साल कि पार्टी में लोगों के समूह ने एक लड़की से बदतमीजी की थी और वो ख़बर सुर्खियों में आई थी।
हमारे लोग श्री राम सेना का विरोध तो कर रहे हैं जो सही है पर ऐसी पब पार्टियों का समर्थन क्यों कर रहे हैं समझ नही आता? काफ़ी पढ़ी लिखी महिलाओं ने लड़कियों के शराब पीने को उचित बताया। मेरे हिसाब से उन्हें पुरूष के शराब पीने पर आपत्ति करनी चाहिए थी क्योंकि इस देश में काफ़ी अपराध नशे में होते हैं। पर उन्होंने लड़कियों के शराब पीने का समर्थन किया। हाल ही में आई फैशन फ़िल्म में भी अभिनेत्री प्रियंका चोपडा नशे में धुत एक अनजाने लड़के के साथ डांस करती हैं और जब होश आता है तो उसके साथ बिस्तर पर मिलती हैं। अब आप बताये आपके अनुसार लड़कियों के शराब के समर्थन का जवाब क्या सही था?
लगता है देश में अब चारित्रिक पतन होना शर्मनाक नही है। मैं श्री राम सेना का समर्थक नही पर लोगों को उनके विरोध व् अश्लीलता और नशे के समर्थन में फर्क करना चाहिए। हल्ला बोलो ऐसी श्री राम सेना के असामाजिक काम के ख़िलाफ़। साथ ही भारतीय संस्कृति को धूमिल करने वाले ऐसे डिस्क, पब संस्कृति के ख़िलाफ़ भी। हमे नशे के ख़िलाफ़ हल्ला बोलना है चाहे वो पुरूष करे या महिला।
Tuesday, January 20, 2009
ओबामा और आज प्रेजिडेंट ओबामा की शपथ
फिलहाल ओबामा का शपथ ग्रहण हो चुका है शपथ में थोडी गलती भी हुई इस दौरान......अमेरिका के चीफ जस्टिस ने ४४वे राष्ट्रपति को शपथ दिला दी। अमेरिका को एक उम्मीद दे दी और भारतियों को भी। भाषण स्टार्ट हो चुका है देखिये क्या कहते है वो?
बुश को थैंक्स कहा उन्होंने। कहा -
कई चुनैतियां हैं मेरे सामने।
युवाओं को महत्व दिया जायेगा।
हम संकट के दौर में है।
संकट जल्द ख़त्म नही होगा।
देश को और majboot banayenge
डर की जगह हमने उम्मीद को चुना
हम अपने mulyon पर kayam रहे
sab ko मिलकर काम करने की ज़रूरत
हर morche पर काम करना है
नफरत failane वालों को नही chodenge
सभी धर्मों का सम्मान होगा
arth vyavastha को majboot करेंगे
दूसरे देश के साथ अच्छे सम्बन्ध rakhenge
भाषण ख़त्म हो गया और उन्होंने लगभग अपनी जीत के बाद की बातें ही की। अब कल और आने वाले समय में देखिये क्या होता है? क्योंकि भाषण हम भारतीय विश्वास नही करते। और भाषण कुछ हमारी ummeed के हिसाब से था भी नही शायद ओबामा garjane में नही barasne में bharosa करते हैं।
Saturday, January 17, 2009
बिक रही मासूमियत बाज़ार के लिए.....
इन प्रोग्राम्स में बच्चों की मासूमियत भी मर रही है। जीतने के लिए बच्चों को फूहड़ चुटकले, हरकतें करते देख अजीब सा लगा इतना तो तय था की ये उनकी सोच नही है उन्हें सिखाया गया है। जोकि उन बच्चों के पैरेंट्स आदि के लिए शर्मनाक है। और यदि ये बच्चों की सोच है तो भी अभिवावकों की भूमिका ही ग़लत मानी जायेगी। मेरा अनुरोध है की इन मासूमों के बचपन को बाज़ार के किसी उत्पाद की तरक्की के लिए इस तरह बरबाद न करें और ऐसे प्रोग्राम की भर्त्सना करें।